STORYMIRROR

Ragini Uplopwar Uplopwar

Romance

2  

Ragini Uplopwar Uplopwar

Romance

किनारे

किनारे

1 min
148

तुम मुझे और मैं तुम्हें निहारे रहें,

कभी मिलन होगा न हमारा


पर

साथ साथ चलेंगे न हरदम।

धीर गंभीर बन अनवरत्।

मिलन की चाहत नहीं,

बिछोह का भय नहीं,


पर

माझी को सहारा देते रहे,

धरा और जल का मेल रहे,

किनारे तो किनारे हैं,

लोगो के सहारे न हैं।

खुद भले ना मिल पाये

मगर

लोगो को मिलवाते रहें।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance