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Sajida Akram

Drama

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Sajida Akram

Drama

ख़्यालों

ख़्यालों

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आज फिर खोई थी ख़्यालों में,

चुपके से यादों के झरोखों से।


मुझे बुला लिया बचपन की,

अनगिनत यादों में, बाबा की।


बांहों के झुले में झुला दिया,

अम्मा के आंचल में छुपा दिया।


अम्मा की मीठी लोरी में सपनों,

में सुला दिया, भैया से प्यारी तकरार।


को स्मृति में जगा दिया

ये किस न मेरे ख़्यालों चुरा लिया,

आज फिर में खोई थी ख़्यालों में।


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