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Neeraj pal

Abstract

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Neeraj pal

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ख्वाजा जी।

ख्वाजा जी।

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अगर रहमत है ख्वाजा जी, तेरे दरबार भी आयेंगे।

गा-गा के कव्वाली, तुझको हम जरूर रिझायेंगे।। 


तकदीर में लिखी किस्मत गर तुझको पाने की।

दिलों-जाँ तुझ पर खुश होकर सदा लुटायेंगे।।


दरिया दिली तेरी सब पर बेगरज बरसती है।

मैं तो ठहरा एक पापी, किस मुंह से बुलायेंगे।।


इस नाचीज की क्या हिम्मत, जो तुम में मिल पायेंगे।

मगर दिल कहता है मेरा, तुम मुझे अपनाओगे।।


दिलदार है तू इतना, हर दिल की सदा सुनता है।

खुदगर्ज है यह दिल इतना, खुदी तुम ही मिटाओगे।।


तुम ने तो पूरी की, जो भी जिसकी मिन्नत है।

फिर भी चल न सके नक्शे कदम पर, मुंह कैसे दिखलायेंगे।।


बिन मांगे लुटाई दौलत, जो दर पर तेरे आता है।

या- ख्वाजा गरीब- नवाज "नीरज" को न कभी भुलाओगे।।


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