ख्वाबों की मलिका
ख्वाबों की मलिका
आज शर्मा रहा आईना भी आप जो
सामने आये ,
न सवंरो तुम इतना की कांच कांच
बिखर जाये !
किसी के ख्वाबों की मलिका हो तुम
देख तुम्हें कोई और ललचाये ,
नजर उठा के देखो जो तुम ये आसमान
भी तुम्हारे कदमों में आये !
खिल गई कलियाँ और फूल बन गईं
नज़ाकत ये ऐसी किसी-किसी में आये ,
नशा जो तुम्हारी आँखों में है मय भी देखे
तो छलक जाये !
यूँ जाते हो किधर इतरा के तुम देखो जो
पलट के तो दिल को ज़रा करार आये ,
माना की तुम अमानत हो किसी की में
देखूं तुम्हें तो न ये खयानत कहलाये !!

