STORYMIRROR

Kajal Manek

Tragedy Inspirational

4  

Kajal Manek

Tragedy Inspirational

ख्वाब रूठ रहे हैं

ख्वाब रूठ रहे हैं

1 min
206

ख्वाब रुठ रहे हैं,

जीवन रूठ रहा है,

जिससे हमेशा प्रेम था,

वह प्रकृति रूठ रही है,


दूरियों के बढ़ने से,

अपनों के छूटने से,

हौसले टूट रहे हैं,

ख्वाब रूठ रहे हैं,


किसी बिटिया का ब्याह,

किसी की पढ़ाई,

सब अधूरे छूट रहे हैं,

ख्वाब रूठ रहे हैं,


एक बीमारी ऐसी फैली है,

जिसके बढ़ने से अपनों के हाथों से,

हाथ छूट रहे हैं,

ख्वाब रूठ रहे हैं,


फिर भी सकारात्मक ही रहना है,

मिल जुलकर इसका सामना करना है,

हां ख्वाब रूठ तो रहे हैं,

पर उन्हें फिर से मना लेंगे

सब मिलकर यही कह रहे हैं।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy