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शीला गहलावत सीरत

Romance

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शीला गहलावत सीरत

Romance

खुशियों के गीत गा जाती है

खुशियों के गीत गा जाती है

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गजल

ग़ज़लों के जैसे आ जाती 

कोयल के जैसे गा जाती 


सुनती जब भी धुन बन्सी की

कानन में राधा आ जाती


उसकी यादें फूल सरीखी 

आंगन मेरा महका जाती 


तू रहता है, ख़ुशियाँ रहतीं 

ग़म की बदली फिर छा जाती 


होती जब भी बात विरह की 

साँसें मेरी अटका जाती 


तेरी चाहत की कुल्फी है

जो मेले में भटका जाती।


शीला गहलावत सीरत पंचकूला हरियाणा

हिन्दी उर्दू साहित्य संघ ,अध्यक्ष

इन्द्र प्रस्थ लिट्चर हरियाणा,संयोजक


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