खुद से खफा
खुद से खफा
तुझे हज़ारो दुआ में
ढूँढने की कोशिश की
कभी तेरे नाम के ही
ताबीज़ को तेरे ही
दर पर बाँध दिया...
मन्नतों के लाल धागे
बाॅंधे तेरे ही लिए
पेडो पर झूले डाले,
छू जो पाएं आसमान,
तुझे नीचे बुला सकूँ।
किस दर न गया मैं
तुझे पुकारने
अरदास से, अजान से
घंटियों से तेरा नाम पुकारा।
बता न तू मुझसे इतना
जुदा जुदा क्यो..??
या मैं खुद से इतना
खफा खफा क्यों हूँ??