कहर !
कहर !
कहर है दुनिया पर कैसा आया
हर इंसान पर है खौफ का साया
डर के साए में कट रही हैं जिंदगी
अब अपनी सी नहीं रही ये जिंदगी
हर पल लगा रहता है अपनों का डर
कही कोई दूर ना चला जाये साथ छोड़कर
अपनों का जाना हैं बड़ा दुखदाई
यह कैसी विपदा दुनिया पर आयी
कैसे सब ठीक होगा बताओ मेरे भाई
है भगवान ! इस कहर से बचाओ दुनिया को
वापिस पहले जैसे बनाओ इस दुनिया को
लोगों को साँसें देकर अपने घर भिजवाओ
उनको अपने घर का रस्ता दिखाओ
मन है बड़ा विचलित विपदा में है संसार
बहुत हुआ अब तो कर दो सब ठीक
प्रभु अपनी कृपा बरसाओ
तोड़ दो महामारी की जंजीर।
