शब्द
शब्द
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मैंने जो आज कलम उठाने का साहस किया है
उसके पीछे मेरे शब्दो का हाथ है
मेरे लिखने के पीछे मेरे शब्दो का साथ है
जिसने मुझे दूसरों जोड़ा वो मेरे शब्द हैं
मुझे जो मेरे मन से मिलाए वो भी मेरे शब्द हैं
रिश्तों को तोड़ने वाले भी शब्द हैं
रिश्तों को जोड़ने वाले भी शब्द है
शब्द ही माँ का प्यार हैं शब्दो में ही पिता का आशीर्वाद हैं
सम्भाल कर बोलो शब्दो को शब्दो का बाण हैं ऐसा जो निकल कर ना वापिस आएगा
शब्दो से निकला हुआ बाण कई रिश्तो में आग लगाएगा
शब्दो का हैं खेल निराला कोई ना इसके सामने टिकने वाला।