खोयी हुई खुशियाँ
खोयी हुई खुशियाँ
ज़िंदगी के सफर में चलते - चलते
भूल गये बहुत कुछ हम
जिन उँगलियों ने हाथ थाम कर
सिखाया था चलना
उनको थामना
भूल गये हैं आज हम
जिन हाथों ने कभी प्यार से
खिलाया था
उन हाथों को सहारा देना
भूल गये हैं आज हम
इस सफर में चलते - चलते
बहुत कुछ छोदा गये हम
जिन नज़रों ने कभी हमें
अपने से दूर नहीं रखा
उन्हें अपनी ही नज़रों से
दूर कर दिया
जिनकी छाँव में जीना सीखा
उन्ही जड़ों को खुद से
दूर कर दिया
इस सफर में चलते - चलते
बहुत कुछ भूल गये हम
हमारी मुस्कान की परवाह
करने वालों की
खुशियाँ भूल गये आज हम
चलो मिलकर ढूँढ लायें
उनकी खोयी हुई उम्मीदें
लौटा दें उनकी
खोयी हुई खुशियाँ...।