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Kamal Purohit

Romance

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Kamal Purohit

Romance

खोने लगा

खोने लगा

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असर तेरी ही मुहब्बत का मुझपे होने लगा

खमोश हो के तेरे ख्वाब में सँजोने लगा।


पुराने दिन की ये यादें बड़ा सताती है

कि याद कर के इन्हें हर बशर ही रोने लगा।


तू आज रात मेरे ख़्वाब में तो आएगी

ख्याल कर के यही जल्द ही मैं सोने लगा।


कसूर तेरा था मुजरिम मुझे बनाया है

तेरे गुनाह को मैं काँधे रख के ढोने लगा।


रही ये जान "कमल" जिस्म में तेरे हर पल

मगर हुआ है ये आलम तुझे ही खोने लगा।


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