ख़्वाहिशों का ख़ून
ख़्वाहिशों का ख़ून
चल न सकी जब ज़िंदगी इश्क़ के जुनून से
ख़त्म हुई जंग मेरी ख़्वाहिशों के ख़ून से
क़त्ल हो गए हो तुम किसी की मुस्कान से
रुक सकी न मोहब्बतें कब किसी क़ानून से
मसले थे ज़ुदा ज़ुदा उम्र भर मग़र रहे
बतलाओ कौन जी सका है कभी सुक़ून से
याद भी किया अगर दुश्मनों की तरह
ख़त मिला तो जी उठे मतलब नहीं मज़मून से।