ख़्वाब
ख़्वाब
ख़्वाबों की दुनिया में मैं रहती हूँ,
रोज़ एक नया ख़्वाब मैं बुनती हूँ।
है यकीं छंट जायेगा एक दिन ये अँधेरा,
नयी आशा लिए कल फिर आएगा नया सवेरा।
हर रात एक नयी योजना, नया विचार करती हूँ,
हर सुबह उसे पूरा करने की भरपूर कोशिश मैं करती हूँ।
चाहे कितनी भी आये मुश्किलें, साहस ये कम न होगा,
मन में दृढ़ विश्वास है ये, परीश्रम से फल एक दिन अवश्य मिलेगा।
सूरज सा चमकुंगी एक दिन, फूलों सा महकुंगी,
आशा की किरण ये, कभी न मन से मिटने दूंगी।
जब सब ने साथ छोड़ा था, तब माँ बाप ने ही संभाला था,
उनका भरोसा टूटने न दूंगी, एक दिन आसमाँ अवश्य छू लूंगी।