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Ankita Sanghi

Tragedy

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Ankita Sanghi

Tragedy

तूफानी बारिश

तूफानी बारिश

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तुमने आज फिर वही दोहरा दिया,

एक पल में अपनी से पराया कर दिया,

छोटी सी एक नोकझोंक को लेकर

सब रिश्तों को ही तज़ दिया ?


आज फिर यकीं तुमने दिला दिया,

नहीं है हक़ मुझे कुछ कहने का तुमसे,

पल में तुमने ये निष्कर्ष निकाल लिया

प्रेम नहीं मुझे इस घर से ?


चार वर्ष बीती बात फिर आज चलाई,

कब की भूली वो तूफानी रात याद दिलायी,

कहा था कभी न खुलेगा ये किस्सा पुराना

पर फिर तुमने आज वोही बात उठायी ?


कहे या अनकहे, हमेशा मैं ही क्यों सब समझूँ, 

तुम्हारी हर अपेक्षा पर मैं ही क्यों खरी उतरूं,

नाराज़ होने का भी न दिया अधिकार

बस चले जाने को कहते हो, जो अगर मैं कुछ कह दूँ ?


ख़ैर, लगता है ईश्वर का भी है यही फैसला,

शायद इसीलिए आज फिर वैसे ही बरसा,

जाते जाते है रब से एक प्रार्थना यही

मिले न तुम्हें कभी फिर हमसफ़र मुझसा।


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