नया सफर
नया सफर
आज एक नया सफर शुरु करने जा रही हूँ
मैं विवाह के पावन बंधन में बंधने जा रही हूँ।
कहती हूँ लेकर हाथों में हाथ तेरा
हरदम साथ निभाऊंगी, ये वादा है मेरा।
अग्नि के समक्ष लिए है पवित्र सात फेरे
बाबुल का घर छोड़, चली हूँ मैं संग तेरे।
एक बेटी और बहन से आगे मैं बढ़ जाऊंगी
तुझसे जो जुड़के मिले, वो अनेकों रिश्ते मैं निभाऊंगी।
चाहे ये नयी राह पर आये कितनी भी मुश्किलें,
कभी मुँह से न आह करुँगी।
तू जो दे साथ मेरा, हर कठिनाई,
हर गम, हँस के मैं सह लूँगी।
करती हूँ बस ईश्वर से एक यही प्रार्थना
प्रेमपूर्वक, हँसी ख़ुशी कट जाये ये जीवन अपना।