ख़ुशी के मायने
ख़ुशी के मायने
कोई सब कुछ होते हुए भी ख़ुशी से विरक्त है,
तो वहीँ दुनिया में कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने दुःख की खदान का
मंथन करके खुशियों के हीरे को निकाल लिया है।
कोई राजा बन के भी हर पल अपना साम्राज्य छिन जाने के भय से चिंतित है,
तो कोई घास फूस की शय्या पर एक छप्पर के नीचे सो के ही संतुष्ट है।
कोई सिंह के सामान शक्तिशाली हो कर भी शिकारी के कभी भी आ जाने से सहमा हुआ है,
तो कोई बकरा बन के शेर से बचने को झुण्ड के साथ जोश में भागने में ही प्रसन्नचित्त है।
प्राणों की आहूती दे कर ही एक सैनिक का जीवन सफल हो जाता है,
तो कोई शिखर पे पहुँच के भी खुद को एकाकी और तनहा महसूस करता है।
दौलत बेशुमार होने के बावजूद किसी की भूख और लिप्सा शांत नहीं होती,
तो एक भिखारी को तो चंद पैसों की भिक्षा ही जीवन यापन का जरिया नज़र आती है।
सच ही कहा है किसी ने कि ख़ुशी के कोई मायने, कोई पैमाने नहीं होते,
नज़र और नज़रिये के फर्क से ही निर्धन धर्मात्मा भी सबसे अधिक धनवान प्रतीत होते।
मन-मस्तिष्क सही होते हुए भी लोग भगवान को जीवन में मौजूद कष्टों के लिए कोसते,
तो कुछ लोग उसी भगवान् का सानिंध्य पाने को हर मंदिर-मस्जिद-दरगाह के दर्शन करते करते न थकते।
अपंग होते हुए भी कुछ लोग हौसलों से अपने कभी ना मुँह मोड़ते,
तो कुछ लोग हर नाकामयाबी को हार समझ के पल पल जीवन को कोसते।
सच ही कहा है किसी ने की खुश रहने और खुशी पाने के लिए किसी बड़ी वजह की क्या ज़रुरत,
छोटी वजहों और छोटे छोटे लम्हों में ख़ुशी ढूंढने में ही असली खुशी निहित है।
ख़ुशी के ना कोई मायने,ना पैमाने और ना ही कोई कायदे क़ानून हैं,
ज़िंदगी को गले लगा के उसके पल - पल का भरपूर आनंद लेने में ही सच्ची खुशी छुपी है।