STORYMIRROR

Anil Jaswal

Abstract

4  

Anil Jaswal

Abstract

खेल खेल में

खेल खेल में

1 min
287

मां, है तू कहां,

मुझे शेरनी की स्वारी करवा,

मेरी सब करते पूजा,

मैं भी बनूंगी दूर्गा,


करूंगी नरसंहार

शत्रुओं का,

मिटा दूंगी नामोनिशान

जुल्मी का।


मां बोली,

शेरनी तो जंगल में,

कैसे होगा ये संभव।

मां तुझसे,

घर के सारे डरते,


और शेरनी कहते,

अगर मैं बैठूं तूझपे,

मैं लगूंगी मां दुर्गा,

और तूं उसकी शेरनी।


आज तो तुम हो छोटी,

जब हो जाओ बड़ी,

तुम सचमुच बनना दूर्गा,

शेरनी की स्वारी करना,

और राक्षसों को जन्नूम भेजना।


चलो ऐसा करते,

सच में करना मुश्किल,

ऐसा खेल खेलते।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract