खौफ
खौफ
चूज़े से चिड़िया तक का सफर आसान नहीं था,
बातूनी से सन्नाटे तक का सफर आसान नहीं था,
खिलखिलाने से गम्भीरता का सफर आसान नहीं था,
रूह पर चोट खा कर सहम जाने का सफर
आसान नहीं था।।
खो दिया बचपन एक पल में,
जीना छोड़ दिया क्षण क्षण में
इतना खौफ है अंधेरे में,
आबरू छिन्न छिन्न हो रही हर पल में।।
खौफ़ रूहानी का नहीं,
इंसान कि हैवानियत का है,
एक जिस्म की चाह में घायल हैं दो रुह,
एक जिसकी चीख तुमने सुनी,
और एक जो तुम्हारे अंदर से आ रही,
जो कह रही है के तुम गलत हो।।