आँखों और दिल का रिश्ता
आँखों और दिल का रिश्ता
दिल ने सहा है बहुत,
दिल ने कहा है बहुत,
आँखों ने देखा है बहुत,
आँखों ने समझा है बहुत।। 1 ।।
आंसुओं को छुपाया है बहुत,
जाहिर होने से बचाया है बहुत,
क्या रिश्ता है इन् आँखों और दिल का,
दिल के हर दर्द को भाप जाती हैं।। 2 ।।
दर्द होता है दिल को,
रो देती हैं ये आँखे,
जब बयान न कर पाए ये दिल,
फिर भी समझ जाती है ये आँख।। 3।।
चाह कर भी छुपा नहीं पाती अश्कों को,
न चाह कर भी छलका देती है आंसुओं को,
न जाने क्यों रुलाती हैं ये आँख।। 4 ।।
न जाने आँखों और दिल का क्या है रिश्ता,
आखिर में है दोनों में इंसान ही पिसता,
न जाने कौन सा है ये रिश्ता,
इस धड़कन और इन् आँखों का।। 5 ।।