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Akanksha Kumari

Abstract

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Akanksha Kumari

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आँखों और दिल का रिश्ता

आँखों और दिल का रिश्ता

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दिल ने सहा है बहुत,

दिल ने कहा है बहुत,

आँखों ने देखा है बहुत,

आँखों ने समझा है बहुत।। 1 ।। 


आंसुओं को छुपाया है बहुत,

जाहिर होने से बचाया है बहुत,

क्या रिश्ता है इन् आँखों और दिल का,

दिल के हर दर्द को भाप जाती हैं।। 2 ।। 


दर्द होता है दिल को,

रो देती हैं ये आँखे,

जब बयान न कर पाए ये दिल,

फिर भी समझ जाती है ये आँख।। 3।।


चाह कर भी छुपा नहीं पाती अश्कों को,

न चाह कर भी छलका देती है आंसुओं को,

न जाने क्यों रुलाती हैं ये आँख।। 4 ।। 


न जाने आँखों और दिल का क्या है रिश्ता,

आखिर में है दोनों में इंसान ही पिसता,

न जाने कौन सा है ये रिश्ता,

इस धड़कन और इन् आँखों का।। 5 ।। 



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