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Akanksha Kumari

Abstract

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Akanksha Kumari

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अनुभव

अनुभव

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पर रहते परिंदों को एक जगह बसते देखा है,

इश्क में लोगों को टूट के बिखरते देखा है,

जिम्मेदारियों के बोझ से लोगों को बदलते देखा है,

अकेली अंधेरी रातों में खुद को रोता देखा है।


कड़ी मेहनत के बाद भी सपनों को टूटते देखा है,

सागर सी बेचैनी के साथ अपनो के लिए मुस्कुराते देखा है,

हारने थकने के बाद भी लोगों को बस आगे बढ़ते देखा है,

टूट के चाहने के बाद सब कुछ बर्बाद होते देखा है।।



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