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Rashmi Lata Mishra

Tragedy

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Rashmi Lata Mishra

Tragedy

खौल रहा है लहू

खौल रहा है लहू

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पुलवामा हमले के बाद से

सिसक रहा है मन

न हों ऐसे हादसे

अमन और शांति की

चाहत का दम भरते हैं,


उन्हीं के गलियारों से होकर

दुश्मन मा नवता के चलते हैं

ये कैसी मजबूरी या कौन सा

प्रयास है

निर्दोषों की चिताओं पर

स्वमहलों की आस है,


ऐसी घृणित पट्टी

कहाँ पढ़ाई जाती है

मानव बम की फैक्ट्री

जहाँ लगाई जाती है,


उत्पाद बढ़ा विध्वंसक

सामग्रियों का, शर्मसार

हुई मानवता

महज अंतराष्ट्रीय एकता

का स्वांग रचने से

क्या होगा ?


सच का सामना आज नहीं

तो कल करना होगा

सुधर जाओ अमन के दुश्मन

आखिरी अरदास है,


वरना बोये जो बबूल

न करे आम की आस रे

खौल रहा है लहू

पुलवामा हमले के बाद।


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