कहानी तेरे मेरे प्यार की
कहानी तेरे मेरे प्यार की
जी चाहता है लिखूं कहानी तेरे मेरे प्यार की
पर कैसे लिखूं उसमें जिक्र तेरा बहुत कम होगा।
कुछ एक लम्हों को छोड़कर हर पन्ने पर मेरा गम होगा
जिंदगी में आई थी तू मेरे हवा के झोंके की तरह।
करके छलनी अरमानों की उस पार निकल गई
उन लहरों को किस रूप में लिखूं जो मेरे प्यार को निगल गई।
स्याही खून की में कहां से लाऊं जब दवात मेरे तन की सूख गई
इसमें कैसे लिख देगी गीत प्यार के जब कलम मेरी आंसुओं में डूब गई।
जानना तो हर कोई चाहता है पर मुझे पढ़ने वाला कोई नहीं
रो-रो कर आंखें मेरी सूज गई और लोगों को लगता है कि सोई नहीं।
वक्त के सीने पर मैं लिखना चाहता हूं जिंदगी
पर मेरी कलम थक गई टूट गई
संवार भी लेता मैं मगर अब तो हाथों से ही छूट गई।