कहाँ जाएँ हम....?
कहाँ जाएँ हम....?
कोख में आते ही
मसल दी जाती हैं
सड़कों पर अस्मत हमारी
कुचल दी जाती है
तुझसे पूछती हैं-ऐ हिंद !
तेरी बेटियाँ-
तेरे किस कोने में
खुद को लुटने से बचाएँ हम..?
ऐ मातृभूमि तू ही बता
कहाँ जाएँ हम...?
कहाँ जाएँ हम..?
आज भी अपनी
राय रखने का
हक नहीं पातीं हैं हम
किसी के प्रस्ताव के
इंकार का जुर्म
एसिड अटैक से चुकाती हैं हम
क्यों समाज के
दोगले मानदंडों का दंड
हर बार तेरी
बेटियाँ ही पाती हैं....?
तू ही बता वतन मेरे
अपनी परवाज़ का आसमान
कहाँ जाकर पाएँ हम..?
ऐ मातृभूमि तू ही बता
कहाँ जाएँ हम...?
कहाँ जाएँ हम...?