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Deepali Mathane

Tragedy

3  

Deepali Mathane

Tragedy

अच्छा लगता है.......

अच्छा लगता है.......

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वो खुशियों का जहाँ बसाया जो हमने

उसमें ही हर पल जीना अच्छा लगता है।

 

कुछ तरसती सुनहरी घड़ियों को रख के सिरहाने

ज़िंदगी से परे ख़्वाबों में सजाना अच्छा लगता है।


लमहा-लमहा टूटता-बिखरता ज़िंदगी में

समेट के वो दर्द भरा पल भी अब अच्छा लगता है।


जो भी महसूस होती शिकायतें हैं ज़िंदगी में

अदब से उन्हें सराहना भी अब अच्छा लगता है।


बीत गयी ज़िंदगी कुछ ज्यादा ही समझदारी में

खुद को अब बेवकूफ समझना भी अच्छा लगता है।



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