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Nalanda Satish

Abstract Tragedy

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Nalanda Satish

Abstract Tragedy

कच्ची धूल

कच्ची धूल

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यह भी गजब का हुनर रहा होगा

गुनहगारों को बेगुनाह साबित किया होगा


जिनकी तश्तरी डूबी थी कत्ले-आम में

इल्जाम किसी और के सिर लगाया होगा


शर्मिंदगी की हद शुरु होती है दिलो-दिमाग की सरहदों से

मजहबों को सरहदों में कैद किया होगा


दर्द की बेचैनी को तराश कर अल्फाज तक ले आये

वह सरमाया यकीनन जिगरबाज रहा होगा


गलत सोच के कठघरे में पनप रहे हैं सभी

हादसों ने सदमों को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया होगा


कच्ची धुल कहाँ खराब करती है आबोहवा सड़क की 'नालंदा'

साँय साँय हवाओं ने मौसम का मिजाज बिगाड़ा होगा



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