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Praveen Gola

Tragedy

3  

Praveen Gola

Tragedy

ये अश्क बहते हैं

ये अश्क बहते हैं

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217



 
आज फिर याद तुझे करके  ,
ये अश्क बहते हैं ......
कब मिले थे तुझसे  ,
ये लब सब कहते हैं |

खूबसूरत सी दीवानगी की ,
वो रात बड़ी निराली थी ,
जब ज़िस्म में ना हरकत थी  ,
सिर्फ तेरी बातों की सादगी थी |

प्यार का नाम तब सुना था  ,
ये ना पता था कि हो जायेगा ,
कब , कैसे नए दौर का ,
अफसाना लिखा जायेगा |

धड़कने तेरा नाम सुनकर ,
धड़क जाती थीं ......
सारी - सारी रात तब  ,
करवटें बदल गुजर जाती थी |

इशारों में बातें सीखीं तुम्ही से ,
नैनो की भाषा में उलझे तभी से ,
लबों का थरथराना बना जब फसाना ,
प्यार को समझ तभी से जाना  |

बिछड़ गया जब साथ अपना ,
तभी से सीखा प्रभु नाम जपना  ,
भूले नहीं हैं मगर तेरी चाहत ,
आज भी तेरे नाम से मिलती राहत |

आज फिर याद तुझे करके  ,
ये अश्क बहते हैं ......
कब मिले थे तुझसे  ,
ये लब सब कहते हैं ||









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