आज फिर याद तुझे करके ,
ये अश्क बहते हैं ......
कब मिले थे तुझसे ,
ये लब सब कहते हैं |
खूबसूरत सी दीवानगी की ,
वो रात बड़ी निराली थी ,
जब ज़िस्म में ना हरकत थी ,
सिर्फ तेरी बातों की सादगी थी |
प्यार का नाम तब सुना था ,
ये ना पता था कि हो जायेगा ,
कब , कैसे नए दौर का ,
अफसाना लिखा जायेगा |
धड़कने तेरा नाम सुनकर ,
धड़क जाती थीं ......
सारी - सारी रात तब ,
करवटें बदल गुजर जाती थी |
इशारों में बातें सीखीं तुम्ही से ,
नैनो की भाषा में उलझे तभी से ,
लबों का थरथराना बना जब फसाना ,
प्यार को समझ तभी से जाना |
बिछड़ गया जब साथ अपना ,
तभी से सीखा प्रभु नाम जपना ,
भूले नहीं हैं मगर तेरी चाहत ,
आज भी तेरे नाम से मिलती राहत |
आज फिर याद तुझे करके ,
ये अश्क बहते हैं ......
कब मिले थे तुझसे ,
ये लब सब कहते हैं ||