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Anjali Pundir

Classics

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Anjali Pundir

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बाल-कृष्ण

बाल-कृष्ण

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जसुमति मैया ने कान्हा

अबही हैं नहवायै

घुंघराले गेसू कान्हा के

कोमल कर सुलझायैं

खीझत हैं नंद के लाला

निंदिया रही सतायै

माखन-मिसरी अब ना भाये

जसुमति लोरी रहीं सुनाय


पालने कान्हा सोवत

जसोदा ठाड़ी-ठाड़ी निरखायै

लल्ला की मनोहारी छवि

सुध-बुध है बिसरायै

बेर भयी मेरे कान्हा को

माखन-मिसरी खायै

ले गोदी में जसुमति ने

लल्ला दियो जगायै


जसुमति के आँचल में

मोहन रहे कसमसायै

दधि-माखन से मुख 

अपनो लियो लटपटायै

घुटुरुनि चलत धूल में खेलन

को रहे कैसे छटपटायै

खेल-खेल में नजर बचाकर

थोड़ी मुख में भी ले जायै


माँ जसुमति जब बरजन लागी

सरपट सरपट धायै

आगे कान्हा पीछे मैया

सोभा ना बरनी जायै

मैया मुख से माटी निकाले

तीनों लोक देखि चकरायै

जसुमति अपने कान्हा पर

बार-बार बलि जायै।


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