कहाँ है...?
कहाँ है...?
बिरहन पूछे बरखा से
मेरा बिछड़ा प्यार कहाँ है ?
अलका नगरी में छोड़ अकेली
भूला, वो दिलदार कहाँ है ?
बूँदें टप-टप, बादल घुम-घुम
मेघ-अंक में चपला चम-चम
रिमझिम की तानों में सब
ता-ता-थैया, छम-छम-छम-छम
धरती की कामुक अंगड़ाई
अंबर की धड़कन लड़खड़ाई
बरस रही जलधार निरंतर
नयन बन गए मेरे जलधर
विरहन पूछे बरखा से
मेरा वो मधुयाम कहाँ है ?
अलका नगरी में छोड़ अकेली
भूला, वो दिलदार कहाँ है ?
शीत की लंबी राका है
सिकुड़ गए हैं दिवस ओ साजन
तेरे आने की आहट पर
दिल धड़कता धक-धक-धक-धक
पथरा गई हैं अँखियाँ मेरी
सजना तेरी राहें तक-तक
सीमाहीन क्षितिज सा
हो गया इंतजार मेरा
कब मिलेगा अँखियों को
ऐ प्रीतम दीदार तेरा ?
विरहन पूछे शीत ऋतु से
मेरा बिछड़ा यार कहाँ है ?
अलका नगरी में छोड़ अकेली
भूला, वो दिलदार कहाँ है ?