तुम्हारे तलवार
तुम्हारे तलवार
तोड़ा तो दिल मेरा,
पर यह आंसू हैं सबके,
वो बोलते नहीं चुप रहते,
उनकी भावनाओं के खून मेरे आंखों से बहते,
में तो कुछ हूं ही नहीं तुम्हारे इस खेल में,
क्योंकि जो भी था वो तुमने सब लूट लिया अपने लिए,
में जा रही हूं तुमसे दूर ताकि हम कभी न मिले,
ना कभी तुम मेरे पास आ पाओगे,
चुप एकांत होकर मैंने सौ कदम बढ़ा लिए,
अपने दिल में तुम्हारे मारे हुए तलवार लेके।
