मजबूर
मजबूर
हालत ना बतायी हमने कभी
हालातों से मजबूर हो गए हैं हम।
सवाल ना पूछा हमने कभी
सवालातों के कटघरे में खड़े हो गए हैं हम।
जरूरतें ना बढ़ाई हमने कभी
बेकार के सामान से परेशान हो गए हैं हम।
गम का ठीकरा ना फोड़ा हमने कभी
इस शोरगुल से शर्मिंदा हो गए हैं हम।
चाहत किसी पर ना थोपी हमने कभी
सपनों के पुलिंदों से घबरा गए हैं हम।
वजूद का हिस्सा ना मांगा 'नालंदा 'हमने कभी
बेहिचक घुसपैठ से हैरान हो गए हैं हम।