खामोशियां
खामोशियां
खामोशियों से बातें मेरी आज यूँ होने लगीं
रुबरु मुझसे मेरी तन्हाइयाँ होने लगीं
दिल के तार छिड़ गए वीणा हो ज्यों झंकृत हुई
मौन की भाषा मेरी कुछ इस तरह मुखरित हुई
बर्फ ज्यूँ पिघली हो ऐसे यादें सब बहने लगीं
सरगोशियाँ मुझसे मेरी खामोशियाँ करने लगीं
शिकवे गिले आँखों की कोरों को भिगोने जब लगे
थपकियाँ हौले से दे - वे लोरियाँ गाने लगीं
आगोश में ले वे
मुझे सपनों में ले जाने लगीं
फलसफ़ा जिंदगी का
खामोशियाँ समझाने लगीं...!
