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Gulabchand Patel

Drama

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Gulabchand Patel

Drama

खालीपन है मेरे ह्रदय में

खालीपन है मेरे ह्रदय में

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कुछ भी स्पष्ट नहीं है मन में,

दुविधा है इस चित्त में,


कुछ कहने के लिये,

जब भी खुलते हैं होठ,


शब्द फरियाद लेकर,

आते हैं मेरे मन में,


पीछे मुड़ न सकुँ,

ऐसी सोच के उपवन में,


कुछ भी बदलाव नहीं आया,

गर्मी, सर्दी, बरसात के मौसम में,


है कोई जिसने मधुर अमृत देखा हो,

इस आग उगलती दुनिया में ?


ढाई शब्द प्रेम की,

आड़ में जानें क्यों लोग,


भर लेते हैं सारी

वेदना अपने दिल में ?


दोस्तों कड़वी बात लगे

तो माफ़ करना मुझे,


ये तो बस यूँ ही ख्याल आया,

मेरे दिल में।।


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