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Meenaz Vasaya. "મૌસમી"

Tragedy

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Meenaz Vasaya. "મૌસમી"

Tragedy

"खाली सा हो गया दिल का बाग"

"खाली सा हो गया दिल का बाग"

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आज खाली सा लगता है अपने घर का बगीचा,

कल चिड़िया चहकती थी,

हवा भी लहराती थी।


उड़ गई चिड़िया खाली हो गया बाग

घर की फुलवारी थी बहुत प्यारी,

सब से जुदा सबसे थी न्यारी,

वो मेरी थी राज दुलारी,

मेरी गुड़िया प्यारी।


पढ़ने के लिए गए परदेश,

छोड़ गई वो अपना देश,


हरा भरा था मेरे घर का बाग,

वो थी मेरे घर का चिराग।


अब कोई चिड़िया चहकती नही,

अब कोई कलिया महेकती नही।


अब सुना हो गया मेरे दिल का बगीचा,

परिंदे उड़ गए छोड़ के बगीचा।



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