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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

4  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

"खाद्य वस्तु सेवा कर"

"खाद्य वस्तु सेवा कर"

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पांच प्रतिशत लगा,वस्तु सेवा कर

दैनिक जीवन खाद्य वस्तुओं पर

थोड़ा रहम करे,आम आदमी पर
खाद्य वस्तुओं पर न लगाए,कर

आजाद हिंद मे खाद्य वस्तुओं पर
प्रथम बार लगाया है,कर,मण भर

सरकार जरा चिंतन करे,इस पर
आम व्यक्ति कैसे जीयेगा हंसकर?

अगर महंगाई बढ़ेगी इस कदर
आंसू भी सूख जाएंगे,दरिया भर

पहले तो इस कोरोना ने लूटा,सदर
सरकार लूण छिड़क रही,जख्मों पर

सरकार कर वृद्धि,वापिस ले जल्द
न तो फिर आम आदमी करेगा,गदर

लोहे के चने चबायेगी,सरकार कुंवर
जिसने आम का जीना किया,दूभर

खाद्य वस्तुओं पर हटाओ वस्तु कर
बचा लो,सरकार बची हुई इज्जत

इतना न लगाओ,लगान सरकार
एकदिन आ न जाये,कहीं भूचाल

मोड़ दो अमीरों की तरफ,यह कर
आम के लिये मिटा दो,खाद्य कर

पैकिंग खाद्य पर भले उचित है,कर
पर आम दुकानों पर न लगाना,कर

छोटी दुकानों से चलता कई का घर
ख़ास बंद करे,सरकार वस्तु सेवा कर

गरीब आदमी पेट भर सके,क्षणभर
यह तब मुमकिन,मिटे वस्तु सेवा कर

गरीब प्राणी में ही बसता है,ईश्वर
यह रूठा आयेगा,भूकंप प्रलयंकर

खाद्य वस्तुओं से हटा दो वस्तु कर
सिद्ध कर दो,तुम हो सत्य शिखर

दिल से विजय


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