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Dr Jogender Singh(jogi)

Tragedy

4.5  

Dr Jogender Singh(jogi)

Tragedy

कच्ची नींव

कच्ची नींव

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चमकते , रंगीन सपनों को हकीक़त बनाने की ,

कुछ कामयाब कोशिशों ने ।

तमाम आंखों में जुगनुओ सी रोशनी भर दी,

यह भुला कर , कि नाकामयाबी भी  दस्तूर रहा,

हर दौर , हर ज़माने में।

नींव भरने के लिए ज़रूरी सामान सी,

असफलताएं , इमारत का अहम हिस्सा है।

यह बताना भूलते जा रहे हैं।

फिर प्रश्न करतें हैं अनगिनत ,

सुशांत, प्रशांत या कोई भी नाम ,

हमारे बेहद करीबी का भी हो सकता है।

वो क्या उत्तर देते ? सिखाया नहीं गया नींव भरना? 

जुगनुओं की चमक दिखाते रहे दूर से।

पकड़ लोगे , तो बदबू ही हाथ लगती ।

क्या जुगनू की असलियत बताई थी?

नहीं ना , नहीं बताया कभी भी ,जुगनू 

चमकते , बदबूदार कीड़े हैं ।

चमक देख , उन्हें पा लेने की चाह न करना।

दूर से देख खुश हो लेना।

कच्ची नींव , पर खड़ी ईमारत क्या उत्तर देती।

गिरने के सिवाय।

दोष ईमारत का ? लगता है, पर है नहीं ।

दोष मिस्त्री का , जो ईमारत सजाते रहे।

मंजिलें बढ़ाते रहे,

कच्ची नींव पर।


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