कबीर और मोबाइल
कबीर और मोबाइल


पंछी कहे पुकार के चूं, चूं, तू क्या बांधे मोहे,
इक दिन ऐसा आ गया, मोबाइल ने बांधा तोहे !!
ओ मानव, मोबाइल ने बांधा तोहे।
कठपुतली हर कोई बना, अदृश्य डोर बंधी,
चमत्कार ऐसा हुआ, पिंजरे बैठा मानव !!
ओ मानव, मोबाइल ने बांधा तोहे।
दीवाने सब बन गए, अमीर हो या हो गरीब,
सोशल मीडिया के आगे, पानी भरे सब गेम !!
ओ मानव, मोबाइल ने बांधा तोहे।
रिश्ते अहम में बह गए, मित्र बने मनमीत,
डिजिटल ने तो दे दिया मोबाइल का उपहार !!
ओ मानव, मोबाइल ने बांधा तोहे ।
चिट्ठी लिखना भूल गए, मैसेज से काम चलाये,
इमोजी से मुस्करा, उसी से दुख जतलाये !!
ओ मानव, मोबाइल ने बांध तोहे ।
अवगुण के साथ गुण भी है, बुराई के साथ अच्छाई,
ज्ञान विज्ञान के मेले में, नई तकनीक है आयी !!
ओ मानव, मोबाइल ने बांधा तोहे।