कभी आना था यहाँ तुम्हारा
कभी आना था यहाँ तुम्हारा


कभी आना था यहाँ तुम्हारा
अब विराना सा हो गया है
जहाँ राह तकते थे तुम्हारे
वहा बेगाना सा लगने लगा है
जिसके पीछे भागते हो
हासिल वो हो गया है
जो खो दिया तुमने इस राह में
वही कहीं खड़ा हूँ मैं
भूली बिसरी कोई याद सा
कभी याद आऊंगा मैं
वही बिसरी गीत की पंक्तियाँ गुनगुनाऊंगा मैं
तेरे साथ चल ना सका तो क्या
वह याद बन रह जाऊंगा मैं
वहाँ की तन्हाइयों में गर्म चाय की
प्याली बन जाऊंगा मैं
जिस लबों को चूमने का हर्ष
मैंने खो दिया उन्हें फिर से छू पाऊँगा मैं
ज़िन्दगी के बैठेरो यूं ही ठहरा हुआ सा मैं
उस हवा की जोर से तेरी ओर आऊंगा मैं
मुझे बिन पहचाने तू बालों को फेरेगी
मन के गहराइयों में कुछ अनजाना सा ढूंढेगी
शाख से बिछड़ कर कोई जी पाता है क्या
ओझल उन यादों में दामन अपनों का छोड़ जाता है क्या
खुदा की यही चाहत थी तो मिलवाया क्यों
तेरे साथ बीते पलो को आज तक दिल में पिरोया क्यों
याद तो हम बाकी सब नहीं रखते एक तू ही है
जिसे भूल कर भी दिल में हम कहीं रखते