STORYMIRROR

Antariksha Saha

Romance Tragedy

4  

Antariksha Saha

Romance Tragedy

कभी आना था यहाँ तुम्हारा

कभी आना था यहाँ तुम्हारा

1 min
22


कभी आना था यहाँ तुम्हारा

अब विराना सा हो गया है

जहाँ राह तकते थे तुम्हारे

वहा बेगाना सा लगने लगा है

जिसके पीछे भागते हो

हासिल वो हो गया है

जो खो दिया तुमने इस राह में

वही कहीं खड़ा हूँ मैं


भूली बिसरी कोई याद सा

कभी याद आऊंगा मैं

वही बिसरी गीत की पंक्तियाँ गुनगुनाऊंगा मैं

तेरे साथ चल ना सका तो क्या

वह याद बन रह जाऊंगा मैं


वहाँ की तन्हाइयों में गर्म चाय की

प्याली बन जाऊंगा मैं

जिस लबों को चूमने का हर्ष

मैंने खो दिया उन्हें फिर से छू पाऊँगा मैं

ज़िन्दगी के बैठेरो यूं ही ठहरा हुआ सा मैं

उस हवा की जोर से तेरी ओर आऊंगा मैं

मुझे बिन पहचाने तू बालों को फेरेगी

मन के गहराइयों में कुछ अनजाना सा ढूंढेगी

शाख से बिछड़ कर कोई जी पाता है क्या

ओझल उन यादों में दामन अपनों का छोड़ जाता है क्या


खुदा की यही चाहत थी तो मिलवाया क्यों

तेरे साथ बीते पलो को आज तक दिल में पिरोया क्यों

याद तो हम बाकी सब नहीं रखते एक तू ही है

जिसे भूल कर भी दिल में हम कहीं रखते 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance