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Suresh Sachan Patel

Tragedy Inspirational Others

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Suresh Sachan Patel

Tragedy Inspirational Others

।।कब तलक चलते रहोगे।।

।।कब तलक चलते रहोगे।।

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कब तलक चलते रहोगे, ज़िन्दगी की राह में।

हो चली जर्जर ये काया,पाने की कुछ चाह में।


अब तक न मिला है कुछ,अब क्या मिल जाएगा।

बुढ़ापे में ज़िंदगी की, अब तू ठोकर ही खाएगा ।


उम्र गुजरी है तुम्हारी,काॅ॑टों में चलते हुए।

देखा है हमने बहुत ही,गुरबत में पलते हुए।


अब समय गुजरा बहुत है,काया को आराम दें दो।

नव यौवन को ज़िंदगी का,कंधे पर अब बोझ देदो।


बन के पंछी अब तो तुमको,एक दिन उड़ जाना है।

छोड़ दो अब इस जहाॅ॑ को,लगता अब बेगाना है।


ज़िंदगी की शाम हो गई,कब तलक चलते रहोगे।

समय अब तो थक चुका है,थोड़ा इसे विश्राम देदो।


न कभी फुरसत मिलेगी,न खत्म कभी काम होगा।

न कभी तृष्णा मरेगी,न दिल में कभी आराम होगा।


बागों के मुरझाए फूलों, के जैसे विश्राम करो।

एकांत वास में बैठ प्रभू का,अब सुमिरन ध्यान करो।


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