STORYMIRROR

Reena Goyal

Action

4  

Reena Goyal

Action

कब तक बोलो सह पाओगी।

कब तक बोलो सह पाओगी।

1 min
531

विधा-सुगत सवैया


पुरुषों की वीभत्स निगाहें, कब तक बोलो सह पाओगी।

हैवानों के बीच कहो तुम, कहाँ सुरक्षित रह पाओगी।


घाव किये कितने तन-मन पर, चीख कहाँ कोई सुन पाया।

वस्त्रहीन कर नोंच नोंच कर, नारी का अस्तित्व मिटाया।


बेलगाम अपराधी जग में, तुम यूँ ही जलती जाओगी।

हैवानों के बीच कहो तुम, कहाँ सुरक्षित रह पाओगी।


दुष्कर्मी को सजा हुई कब, ना पेशी ना सुनवाई है।

नर के हाथों छल प्रपंच में, नारी ही छलती आयी है।


निर्भय कर दो शत्रुदलन अब, कब तक यूँ छलती जाओगी।

हैवानों के बीच कहो तुम, कहाँ सुरक्षित रह पाओगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action