कौन सी किताब तुमने पढ़ा था
कौन सी किताब तुमने पढ़ा था
मायूस हूँ ,अपनी किस्मत पर रो रहा हूँ
अनाथ हूँ साहब,इसलिए फुटपाथ पे सो रहा हूँ
कुछ सात-आठ साल मेरी उमर है
पत्थर पे सोके दुखती कमर है
होटल में जाके जूठे बर्तन मैं धोता
तब जाके दो वक्त की रोटी सेठ मुझको देता
इसी तरह अपना गुजारा चल रहा है
माँ-बाप की कमी बहुत खल रही है
ना होते वो दंगे,ना मिलती जुदाई
मेरी माँ भी होती,जिसे कहता था माई
बाबा भी होते मुझे चूम लेते
कंधे पे उठा के मुझको घुमाते
वो मंजर मेरे आँखो से उतरता नहीं है
किसी मासूम को अनाथ बना देना कितना सही है
मेरे माँ-बाप ने कौनसा किसी की आस्था को चोट पहुंचाया
जिसकी सजा इस मासूम बच्चे ने पाया
दुखता है दिल और रोती है आंखे
बताओ क्या पाया तुमने दंगा फैला के
कोई भी धर्म ना ऐसा सिखाता
अब तो बता दो कौनसी किताब तुमने पढ़ा था.