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mohammad imran

Inspirational

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mohammad imran

Inspirational

कविता दिवस

कविता दिवस

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शब्दो में वो हंसती है 

शब्दो में वो रोती है

कभी उपलब्धियां गिना देती 

कभी दुख उसको दबा देती 


कभी बिजली वो गिराती है

कभी नैनो के तीर चलती है

कभी अबला बन जाती है 

बन कभी वीरांगना कृपाण भी चलाती है


कवियो की कविता में पत्थर तोड़ने जाती है

कभी सती कभी राजिया कभी झांसी की रानी कहलाती है

शब्दो ने जो रूप दिए उसको पूरा निभाती है

ताल मेल और सच्चाई कभी झूठी भी कहलाती है


दंगो का कभी कारण बनती (गलत नारे)

कभी हक की आवाज बुलंद करें

मजलूमों पर हुए जुल्म को आंखो देखा ये हाल पढ़े

कविता है यह कविता है तभी तो लोग पसंद करें


प्रकृति को वरदान कहे हरियाली का गुण गान करे

कमजोरो बहिस्कृत लोगो के मुंह से ये हुंकार भरे

भाषा इसकी ईंधन, ज्ञानी का भी सम्मान करे

कविता है यह कविता है तभी तो लोग समान करें।



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