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Sudha Adesh

Tragedy

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Sudha Adesh

Tragedy

एक मौका और दीजिए

एक मौका और दीजिए

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पाँच वर्ष पश्चात 

खादी के 

कुर्ता पाजामे मेँ 

सुसज्जित

सिर पर 

गांधी टोपी 


आँखों पर रे-बेन का

काला चश्मा 

पैरों में रिबोक के जूते पहने 

सुरक्षाकर्मियों से लेस

एक बार फिर द्वार पर 

हाथ बांधे व्यक्ति को देखकर 

हमने पूछा,


'कौन हो भाई,

 हमने पहचाना नहीं।' 

'हम गरीबदास 

आपके सेवक 

एक मौका और दीजिये। ' 


'आप वह गरीबदास नहीं हो

 जिन्हें हमने वोट दिया था

 कंधों पर थैला लटकाये 

चप्पल चटकारते, 

पेट को आंतों में धँसे

उस कमजोर और मरियल से 

व्यक्ति में समाज सुधार का

जज्बा देख हमने सोचा 


हमारे मध्य पला बढ़ा 

वह आदमी निश्चित रूप से 

हमारी समस्याओं का 

हल ढूंढ पाएगा 

पर तुम भी 


औरों की तरह ही निकले 

जाइयेजाइये 

अब हमें और बेबकूफ 

मत बनाइये 

कहीं और जाकर वोट मांगिए। '


'नहीं भाई हम वही गरीबदास है

आपकी समस्याओं का 

हल ढूँढते-ढूँढते

हम स्वयं उलझ गये थे, 


आपकी मेहरबानी से 

हमारी गरीबी तो हो गई दूर 

एक मौका और दीजिये जहाँपनाह,

जिससे आपकी गरीबी 

हम कर सके दूर।


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