कौन दिशा से आयो पंछी
कौन दिशा से आयो पंछी
कौन दिशा से आयो रे पंछी
किस देश में है तेरा ठिकाना
जैसे मैं हूँ साजन की दीवानी
क्या तू भी है किसीका दीवाना
लंबा सफ़र तय किया है तूने
मेरे आंगन में बना इक बसेरा
तेरे होने से सांझ मुस्कराएगी
ठुमक ठुमक नाचेगा हर सवेरा
कभी तू सुनाना अपनी कहानी
कभी मैं सुनाऊंगी दिल की बात
हर दिन हर शाम सुहानी होगी
कभी यादों की होगी चांदनी रात
दिल की है अब एक ही आरज़ू
पास मेरे चला आए मेरा बालम
क्यों मौन है तू कुछ बोल रे पंछी
अब कैसा है तेरे दर्द का आलम
मिला नहीं कोई तुझसा सखा
जुदा होने की बात मत करना
सुनकर मेरी दर्द भरी ये कहानी
आंसुओं की बरसात मत करना
याद साजन की लगी है सताने
आंखों से बहती सावन की झड़ी
रे पंछी साथ मेरा छोड़ मत देना
मुंडेर पर अल्हड़ जवानी है खड़ी
वो क्या जाने हाल इस दिल का
जिसने समझा नहीं प्यार क्या है
तू खोया नहीं किसी की यादों में
रे पंछी तू क्या जाने यार क्या है।