कैसे रंगीन होगी होली
कैसे रंगीन होगी होली
फीका फीका इस होली का रंग ए अबीर..
किसे दिखाऊं जलते दिल की तमाम पीर..
वो सुर्ख भाता था तुम्हें मेरे लबों पर..
मुझे नहीं लगाना होली पर इस बार..
वो रंग केसरी जंचता था बहुत तुम पर..
नहीं खेलूँ होली उस रंग से इस बार..
वो पीले रंग का आंचल तेरी पसंद का..
बहुत चुभे आँखों को होली में इस बार..
हरियाली मेहँदी ना लगी तेरे नाम की..
कैसे रंग लगाऊं मैं हरे रंग का गुलाल..
रंग बहुत है एक रंग तुम्हारा नहीं ज़िन्दगी में.
बोलो कैसे रंगीन होगी होली मेरी इस बार..
