काश!
काश!
जब रखा तेरे आँगन में कदम
एक छोटी सी आशा थी हमदम
कि तू मेरे सपनों को समझेगा,
मेरा दिल पढ़कर साथ निभाएगा
अपना अधिकार तो सब जताते हैं,
तू बिना किसी शर्त प्यार जताएगा।
तूने प्यार दिया, मान सम्मान दिया
पर बदले में एक वादा ले लिया।
सब करना पर अपने पंख न फैलाना।
उड़ना चाहो आसमान में जब भी
मुझे साथ रखना, अकेली न जाना।
तुम कांच सी नाज़ुक हो टूट जाओगी।
इस ज़ालिम दुनिया से न लड़ पाओगी।
तुम्हारी इस परवाह ने मेरे पंख तोड़ दिए।
अब बस मैं वो नीलगगन ताकती हूँ,
मैने उड़ने के सपने देखने छोड़ दिए।
काश! तुम बिना शर्त के प्यार जताते
तो मेरे सपने पूरे होते देख पाते।