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Kamini sajal Soni

Tragedy

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Kamini sajal Soni

Tragedy

काश! मेरे भी होते पांव

काश! मेरे भी होते पांव

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बूढ़ा बरगद कह रहा है

देखो एक कहानी।

विकास के नाम पर मानव

तूने विनाश की ठानी।।


आज विज्ञान के युग नें

प्रदूषण अभिशाप में दे दिया।

शुद्ध हवा , मिट्टीऔर पानी को

अवांछित द्रव्यों से भर दिया।।


खो गया सौंदर्य धरा का

विनाश हुआ जो वनों का।

अम्ल वर्षा ने छीन लिया

नव सृजन संसार का।।


काश ...मेरे भी होते पांव

तो इस निष्पाण होते तन से।

लाठी टेक में चल देता

शुद्ध हवा मिट्टी और पानी के गांव।।



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