काकी की यादें दिल से ना गईं
काकी की यादें दिल से ना गईं
अपने बचपन की कई सुनहरी यादों में,
एक खास बात आज फिर से याद आई ;
मुझे बहुत प्यार से कहा करती छुटकी,
वो थी मेरी सबसे छोटी मोना काकी !
जब वह दुल्हन बनकर घर आई थी,
सबसे पहले मुझे देख मुस्कुराई थी !
तबसे काकी भतीजी का बॉन्ड बना,
इस रिश्ते का रहा सुन्दर ताना बाना !
आज चाहे मैं हो गई कित्ती भी बड़ी,
पर काकी की यादें जेहन से ना गईं !
अब भी मन की दहलीज पर हैं खड़ी,
उनकी मुस्कान अब भी मोतियों की लड़ी !
