जवाब दे जा
जवाब दे जा
लिखी थी मिलके कभी जो हमने वो साँसों की इक किताब दे जा।
जवाँ दिलों के सफर में भीगा वफा का मौसम खराब दे जा।।
भले मिटा दे मेरी निशानी भले तू यादों से दूर कर दे।
मेरी नजर से तेरी निगाहों ने जिसको देखा वो ख्वाब दे जा।
तेरे बिना जो ये दिल न धड़का तेरे बिना जो न सोई आँखें
ख़ुशी के गम के हजार लमहों का मुझको पूरा हिंसाब दे जा।।
कहाँ गये वो हसीन सपने कहाँ गए वो हसीन मौसम
मेरी मोहब्बत के साहिलों का वहीं पुराना शबाब दे जा।।
अभी तलक है बदन में जिन्दा तेरे बदन की महीन खुशबू
छुआ था जिसने बदन था या फिर गुलाब इसका जवाब दे जा।।
झुकी झुकी सी नजर के जलवे अभी भी जिन्दा हैं वादियों में
जरा जरा सी नजर से तूने पिलाई थी जो शराब दे जा।।
तेरी अदालत में आज हाजिर मेरी मोहब्बत मेरी वफा है।
या बावफा कह या बेवफा कह मगर तू कोई खिताब दे जा।

