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Abasaheb Mhaske

Tragedy Action

4  

Abasaheb Mhaske

Tragedy Action

जुमलों के शहर में

जुमलों के शहर में

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जुमलों के शहर में

हैं घर अपना

रोटी, कपड़ा एक

हो छोटा सा मकान


हम दो हमारे दो

अपनी धुन में

जीये जा रहे थे

ना कल की फ़िकर


अकस्मात एक तूफान सा आया

जो कुछ भी था सब कुछ गया

सब कुछ थमा, नौकरी पैसा

घर में हम कैद हुए


थाली बजाओ, ताली बजाओ

दीये जलाओ, फूल भी बरसाये

गेंहू आये चावल भी आये

मगर भविष्य की चिंता कौन हरे


हैरान गली, परेशान रोड

नुक्कड़ पे दुकान डालूँ ?

साइकिल की बन जाऊं

ट्यूबचन्द टायरचंद पंक्चरवाले 


पढ़ा लिखा बेटा बेकार बैठा

बिटिया की करनी हैं पढ़ाई

सपनों के शहर में रहते हैं शान से

बिलकुल बेकार बैठे मोहन प्यारे


महंगाई सातवें आसमान पर

उपर से यह कोरोना महामारी

ढंग का कपड़ा न दो वक्त की रोटी

दर - दर भटकता जैसा मुसाफिर


करें भी तो क्या करें

गहरी सोच में आँख लगी

तो आवाज सुनाई दे

अजी सुनते हो राशन ख़तम


गैस ख़त्म? पैसे लाऊँ कहाँ से

उपरवाले लाख कर ले तू सितम

मगर हम हैं तैयार तू जान ले

घर हैं हमारा जुमलों के शहर में



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