वो तो बहुरुपिया निकला
वो तो बहुरुपिया निकला
दाढ़ीवाला बाबा आया
सपनो का गुलदस्ता लाया
देखते देखते दिलो पे छाया
वो तो बहुरुपिया निकला
दाढ़ीवाला बाबा आया
झूठ का बोलबाला
सच के मुँहपर ताला
खुद में ही मगन हुआ
दाढ़ीवाला बाबा आया
कुछ खरीदा , कुछ बेचा
चाटुकार को घेरा बनाके
खुद ही फैसले सुनाने लगा
दाढ़ीवाला बाबा आया
सजने सवरने में मगन हुवा
काँटों के तरह चुभने लगा
अपने ही लोग में फटीचर बना।
